Sunday, 30 July 2023

अधिक मास अमावस्या - 15, 16 अगस्त 2023! अमावस्या व्रत के फायदे, Benifits of Amavasya vrat

अमावस्या व्रत के फायदे (Key Benefits of Amavasya Vrat)

हिंदू धर्म में अमावस्या व्रत के बहुत सारे फायदे गिनाए गए हैं जोकि निम्नलिखित प्रकार हैं:

  • प्राचीन शास्त्रों के अनुसार अमावस्या तिथि स्वामी पित्र देव की तिथि होती है औरयदि इस दिन उनकी पूजा-अर्चना की जाए तो मन वांछित फल प्राप्त होते हैं।


  • इस विशेष पर्व पर श्रद्धा भाव से पितरों के श्राद्ध किए जाते हैं जो कि अत्यंत शुभ कार्य माने जाते हैं; ऐसा करने से पितरों को प्रसन्नता मिलती है और उसका फल उपवास करने वाले व्यक्ति को प्राप्त होता है।
  • विष्णु पुराण के मुताबिक श्रद्धा से अमावस्या का व्रत रखने से पित्र ग्रह तृप्त ही नहीं होते बल्कि अन्य देवता भी इससे प्रसन्न होते हैं।देवता गण एवं पितरों की प्रसन्नता हासिल करने के लिए अमावस्या का व्रत काफी महत्वपूर्ण साबित होता है।
  • इस विशेष दिन परस्नान और दान का भी बहुत महत्व है; ऐसा करने से शरीर पापों से मुक्त हो जाता है।

अमावस्या व्रत के प्रकार

1 साल में लगभग 12 अमावस्या आती है; जो कि निम्न लिखित प्रकार है:





  • सोमवती अमावस्या
  • भौमवती अमावस्या
  • मौनी अमावस्या
  • शनि अमावस्या
  • महालय अमावस्या
  • हरियाली अमावस्या
  • दिवाली अमावस्या
  • कुछग्रहणी अमावस्या
  • सर्वपितृ अमावस्या

जो बाकी की अमावस्या हैं वह जिस वार को आती है उन्हें उसी वार के नाम से जाना जाता है। अमावस्या व्रत के प्रकार की संक्षिप्त जानकारी निम्नलिखित प्रकार है:

सोमवती अमावस्या: सोमवार को जो अमावस्या पड़ती है उसको सोमवती अमावस्या कहा जाता है। इस दिन व्रत रखने से चंद्र से जुड़े हुए सारे दोष खत्म हो जाते हैं एवं मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। यह व्रत विशेष तौर पर महिलाएं रखती हैं ताकि उनके पति की आयु लंबी हो जाए।

भौमवती अमावस्या: मंगलवार को पढ़ने वाली अमावस्या को भौमवती अमावस्या कहा जाता है, इस दिन व्रत रखने से कर्ज का संकट खत्म हो जाता है।

मौनी अमावस्या: यह अमावस्या माघ महीने में आती है सबसे ज्यादा इसी अमावस्या को महत्वपूर्ण दिन माना जाता है और विशेष तौर पर व्रत-उपवास रखे जाते हैं।

शनि अमावस्या: जो अमावस्या शनिवार को पड़ती है उस अमावस्या को शनि अमावस्या कहा जाता है; इस दिन व्रत रखने से शनि के दोष दूर हो जाते हैं।

महालय अमावस्या: महालय अमावस्या को पित्र पक्ष की सबसे ज्यादा प्रिय अमावस्या कहा जाता है, इस दिन अन्न दान और जल अर्पण करने से पूर्वजों को काफी प्रसन्नता हासिल होती है। इस अमावस्या का व्रत पूर्वजों को विशेष तौर पर खुश करने के लिए किया जाता है।

हरियाली अमावस्या: श्रावण महीने में हरियाली अमावस्या आती है जो कि महाराष्ट्र में गटारी अमावस्या के नाम से भी काफी प्रसिद्ध है। तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में इस अमावस्या को चुक्कला और उड़ीसा में स्थित लागी अमावस्या कहा जाता है।

दिवाली अमावस्या: कार्तिक मास की अमावस्या, दिवाली अमावस्या कहलाती है। इस दिन डीप जलाये जाते हैं। विशेष रूप से यह अमावस्या काली माता से जुड़ा हुआ है, इसलिए उनकी पूजा विशेष रूप से की जाती है। लक्ष्मी पूजन भी किया जाता है।

कुछग्रहणी अमावस्या: कुछ प्राप्त करना हो तो इस अमावस्या का व्रत किया जाता है। इस अमावस्या को कुशोत्पाटिनी भी कहते हैं एवं पिथौरा अमावस्या के नाम से भी प्रसिद्ध है।

सर्वपितृ अमावस्या

: भूले बिसरे पितरों को याद करने एवं उनसे क्षमा याचना प्राप्त करने के लिए उपवास रखे जाते हैं।

अमावस्या व्रत की विधि

  • इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के पश्चात पितरों को याद करते हुए श्राद्ध कार्य शुरू किए जाते हैं।
  • हाथ में जल लेकर भगवान का स्मरण करते हुए व्रत का संकल्प लिया जाता है।
  • इसके बाद व्रत शुरू हो जाता है जो कि शाम तक चलता है।
  • इस दिन विशेष तौर पर लक्ष्मी पूजन एवं कालिका मां का पूजन किया जाता है।
  • पीपल के चारों तरफ भी चक्कर लगाते हुए ब्रह्मा, विष्णु और महेश को याद किया जाता है क्योंकि पीपल को इन तीनों का रूप माना जाता है।
  • श्रद्धा भाव सेब्राह्मणों को दान दक्षिणा भी दी जाती है ताकि उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जा सके।

अमावस्या व्रत के दौरान क्या करना चाहिए?

  • इन दिनों ब्रह्मचर्य नियम का पालन करना अनिवार्य है।
  • इस दिन घर के लिए महत्‍वपूर्ण चीजों की खरीददारी भी नहीं करनी चाहिए।
  • अमावस्या के दिन अगर कोई दान-दक्षिणा या खाना मांगता है तो उसे खाली हाथ नहींजाने देना चाहिए। अपने सामर्थ्य के अनुसार जो कुछ भी दे सकते हैं वो जरूर दना चाहिए।
  • श्राद्ध के बाद गाय, कौवा, अग्नि, चींटीऔर कुत्ते को भोजन अवश्य खिलाया जाता है, इससे पितरों को शांति मिलती है और वे तृप्त होते हैं।
  • घर में पूरी तरह से साफ सफाई करनी चाहिए तथा चारों कोनों में गंगाजल का छिडकाव करना चाहिए।
  • इसके अतिरिक्त पुराने कपडे, घर का खराब समान, अनुपयोगी वस्तुयें आदि घर से बाहर निकाल देना चाहिए।
  • अमावस्या के दिन पीपल के वृक्ष का पूजन करना अति उत्तम कार्य माना जाता है।
  • इस दिन प्रवाहित जलधारा में तिलांजलि करना लाभकारी माना जाता है। इस दिन तर्पण और पिंडदान आदि करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
  • इस दिन भोजन से पहले गाय, कुत्ता और पक्षि हेतु भोजन का कुछ अंश निकाल कर खिलाना चाहिए।
  • दो जिंदा मछलियों को लेकर किसी नदी अथवा तलाब में छोड देना चाहिए। यह राहु व केतु का एक चमत्कारी उपाय है; ऐसा करने से राहु केतु की कृपा प्राप्त होती है।

यह सब काम करने से भगवान खुश होते हैं एवं भगवान की कृपा प्राप्त होती है। सारे बिगड़े काम बन जाते हैं।

अमावस्या व्रत के दौरान क्या नहीं करना चाहिए?

  • अमावस्या के दिन में कभी भी नया झाड़ू या किसी के घर से अपने घर में झाड़ू का प्रवेश नहीं करना चाहिए क्यूंकि ऐसी मान्यता है कि इससे लक्ष्मी देवी नाराज होती हैं।
  • इस दिन में कहीं से भी आटा या गेहूं खरीद करके या किसी के घर से लेकर नहीं आना चाहिए।
  • अमावस्या के दिन में सर के बाल नहीं काटने चाहिए और ना ही नाखून काटने चाहिए।
  • इस दिन मुंडन, गृह प्रवेश जैसे मांगलिक कार्यों का आयोजन नहीं करना चाहिए।

अमावस्या के दिन क्या खाना चाहिए?

इस दिन पूर्ण रूप से सात्विक भोजन का सेवन करना चाहिए। पूर्ण रूप से खाया हुआ सात्विक भोजन संतुष्टि प्रदान करता है तथा दिन भर ऊर्जा बनी रहती है। व्रत के खाने में सेंधे नमक का इस्तेमाल करना चाहिए; साबूदाना का भोजन नहीं ग्रहण किया जा सकता है।

अमावस्या के दिन क्या नहीं खाना चाहिए?

  • अमावस्या के दिन में भूल से भी मांस और मदिरा घर में नहीं लाना चाहिए। इस दिन केवल शुद्ध शाकाहारी भोजन का ही सेवन करना चाहिए।
  • अमावस्या के दिन प्याज, लहसुन, मांस और मदिरा का सेवन बिलकुल भी नहीं करना चाहिए क्यूंकि इससे पितरों को चोट पहुंचती है।
  • इस दिन लौकी, खीरा, चना, जीरा, सरसों के साग का भी सेवन नहीं करना चाहिए।



हिन्दू धर्म में अमावस्या का विशेष महत्व है। हिन्दू धर्म में कैलेण्डर व हिन्दू पंचाग के तिथि में चन्द्रमा के अनुसार ही बदलती है। अमावस्या क्या होता है? यह वह रात होती है जब चन्द्रमा पूर्ण रूप से नहीं दिखाई देता है। अमावस्या की रात हर 30 दिन बाद आती है यह ऐसा कहा जा सकता है कि अमावस्या एक महीने में एक बार आती है। चन्द्रमा के घटते और बढते हुए को पक्ष कहा जाता है दो प्रकार के होते है शुक्ल पक्ष और कृष्णपक्ष।




अधिक मास अमावस्या - 15, 16 अगस्त 2023

अमावस्या तिथि शुरू - 15 अगस्त 2023, 12.42 PM

अमावस्या तिथि समाप्त - 16 अगस्त 2023, 03.07 PM

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